Best Zen Stories in Hindi: 7 प्रसिद्द ज़ेन कथाएँ

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Zen Stories in Hindi | ज़ेन कथाएँ | Zen Kathayein

Seven Best Inspiring and Motivational Zen Hindi Stories Collection 

ज़ेन Zen दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा प्रचलित बौद्ध (Bodh) परंपरा का जापानी नाम है। ऐतिहासिक रूप से, ज़ेन प्रथा चीन, कोरिया, जापान और वियतनाम में उत्पन्न हुई और बाद में पश्चिम में आई। ज़ेन बौद्ध धर्म के एक रूप है जो मनुष्य की जागृति पर जोर देता है.

इसे जीवन का सही अर्थ खोजने की कोशिश की एक विधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. जेन अपने अनुयायियों को सिखाता है कि वे अपनी उम्मीदों, विचारों और यहाँ तक की अपने विश्वास की परतों को भी हटाएं ताकि सच को जान सकें

वैसे तो जेन कहानियां बहुत सी हैं परन्तु आज आपके लिए 7 सबसे बेस्ट जेन (Best Zen Stories) कहानियां हिंदी में लेकर आएं हैं इसमें आपको सदा जीवन और उच्च विचारों की झलक देखने को मिलेगी.

ज़ेन कहानियां जीवन को सरलता का मार्ग दिखातीं हैं. ज़ेन स्टोरीज (Hindi Relax Stories) को पढ़कर आप ज़िन्दगी को जीने का नयापन और इसे सादगी से भरा पाएंगे.

Let’s Read 7 Best Zen Stories Hindi | 7 प्रसिद्द ज़ेन कथाएँ


Zen Stories in Hindi #1 – एक कप चाय 

नैनइन , एक जापानी जेन मास्टर थे . एक बार एक प्रोफ़ेसर उनसे जेन के बारे में कुछ पूछने आये , पर पूछने से ज्यादा वो खुद इस बारे में बताने में मग्न हो गए .

मास्टर ने प्रोफ़ेसर के लिए चाय मंगाई , और केतली से कप में चाय डालने लगे , प्रोफ़ेसर अभी भी अपनी बात करते जा रहा था की तभी उसने देखा की कप भर जाने के बाद भी मास्टर उसमे चाय डालते जा रहे हैं , और चाय जमीन पर गिरे जा रही है.

यह कप भर चुका है , अब इसमें और चाय नहीं आ सकती .”, प्रोफ़ेसर ने मास्टर को रोकते हुए कहा .

इस कप की तरह तुम भी अपने विचारों और ख़यालों से भरे हुए हो.भला जब तक तुम अपना कप खाली नहीं करते मैं तुम्हे जेन कैसे दिखा सकता हूँ ?”  मास्टर ने उत्तर दिया. 

Zen Story सार – हमें किसी से कुछ भी अगर सीखना है तो हमें बालक का हृदय यानि अपनी बुद्धि को शून्य, अपने विचारों, विकारों और जज की भूमिका का त्याग करना होगा , तभी हम अपने गुरु की बात को समझ पाएंगे. इस जेन कहानी में गुरु ने भी शिष्य को विचारों विकारों का त्याग करने की ही बात कही है.


Inspirational Zen Story in Hindi #2 – मैले कपड़े

जापान के ओसाका शहर के निकट किसी गाँवों में एक जेन मास्टर रहते थे। उनकी ख्याति पूरे देश में फैली हुई थी और दूरदूर से लोग उनसे मिलने और अपनी समस्याओं का समाधान कराने आते थे।

एक दिन की बात है मास्टर अपने एक अनुयायी के साथ प्रातः काल सैर कर रहे थे कि अचानक ही एक व्यक्ति उनके पास आया और उन्हें भलाबुरा कहने लगा। उसने पहले मास्टर के लिए बहुत से अपशब्द कहे , पर बावजूद इसके मास्टर मुस्कुराते हुए चलते रहे। मास्टर को ऐसा करता देख वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और उनके पूर्वजों तक को अपमानित करने लगा। पर इसके बावजूद मास्टर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते रहे। मास्टर पर अपनी बातों का कोई असर ना होते हुए देख अंततः वह वयक्ति निराश हो गया और उनके रास्ते से हट गया।

उस वयक्ति के जाते ही अनुयायी ने आस्चर्य से पुछामास्टर आपने भला उस दुष्ट की बातों का जवाब क्यों नहीं दिया,और तो और आप मुस्कुराते रहे ,क्या आपको उसकी बातों से कोई कष्ट नहीं पहुंचा ?”

जेन मास्टर कुछ नहीं बोले और उसे अपने पीछे आने का इशारा किया। कुछ देर चलने के बाद वे मास्टर के कक्ष तक पहुँच गए।

मास्टर बोले , ” तुम यहीं रुको मैं अंदर से अभी आया।

मास्टर कुछ देर बाद एक मैले कपड़े लेकर बाहर आये और उसे अनुयायी को थमाते हुए बोले “लो अपने कपड़े उतारकर इन्हे धारण कर लो?”

कपड़ों से अजीब सी दुर्गन्ध आ रही थी और अनुयायी ने उन्हें हाथ में लेते ही दूर फेंक दिया।

मास्टर बोले, क्या हुआ तुम इन मैले कपड़ों को नहीं ग्रहण कर सकते ना ? ठीक इसी तरह मैं भी उस व्यक्ति द्वारा फेंके हुए अपशब्दों को नहीं ग्रहण कर सकता।

इतना याद रखो कि यदि तुम किसी के बिना मतलब भलाबुरा कहने पर स्वयं भी क्रोधित हो जाते हो तो इसका अर्थ है कि तुम अपने साफ़सुथरे वस्त्रों की जगह उसके फेंके फटेपुराने मैले कपड़ों को धारण कर रहे हो।” 

Zen Story सार – इस ज़ेन कहानी में गुरु ने शांत चित रहकर अपने आप पर और अपने विचारों पर काबू पाने की बात कही है. किसी के अपशब्दों से हमें बिलकुल भी विचलित नहीं होना चाहिए. हमारे मन और तन पर सिर्फ हमारा ही कंट्रोल होना चाहिए.


Zen Master Story Hindi #3 – शराबी शिष्य

एक जेन मास्टर के सैकड़ों शिष्य थे . वे सभी नियमों का पालन करते थे और समय पर पूजा करते थे . लेकिन उनमे से एक शिष्य शराबी था, वो न नियमों का पालन करता था और न ही समय पर पूजा करता था.

मास्टर वृद्ध हो रहे थे .आश्रम में यही चर्चा थी कि मास्टर किसे अपने रहस्य बताएँगे और अपना उत्तराधिकारी घोषित करेंगे, सभी का अनुमान था कि मास्टर के कुछ प्रिय शिष्यों में से एक ही अगला मास्टर बनेगा .पर मरने से कुछ समय पहले मास्टर ने शराबी शिष्य को बुलाया और सारे रहस्य बता कर उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया .

ये बात किसी के गले नहीं उतरी,जल्द ही बाकी शिष्यों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया .

एक शिष्य क्रोधित होते हुए बोला,कितना शर्मनाक है येहमने एक गलत मास्टर के लिए अपना बहुमूल्य समय बर्वाद कर दिया, उसने हमारे जैसे गुणवान शिष्यों को चुनने की बजाये एक शराबी को चुन लिया।”

उसकी बात सुनकर मास्टर बोलेपुत्रों , मैं अपने रहस्य केवल उसी को बता सकता था जिसे मैं अच्छी तरह से जानता हूँ . तुम सभी बड़े गुणवान हो लेकिन तुम सबने मेरे सामने हमेशा अपनी अच्छाई ही रखी अपनी बुराइयों को कभी सामने नहीं आने दिया.

ये खतरनाक है; क्योंकि अक्सर इन गुणों के पीछे व्यक्ति का घमंड, गर्व और असहिष्णुता छिपी रह जाती है . इसलिए मैंने उस शिष्य को चुना जिसकी बुराइयों को भी  मैं देख सकता हूँ और जिसे मैं सबसे अच्छी तरह से जानता हूँ .”

Zen Story सार – इस ज़ेन कहानी में गुरु ने ये बताया की यकीन उस पर ही करो जिसके आप सब तरह से परिचित हैं. जो सिर्फ अच्छा ही अच्छा है असल में वो बुरा है. जिस व्यक्ति की आप अच्छाई और बुराई दोनों आपके सामने हों उस इंसान पर आप अपनी बुद्धिमानी का प्रयोग करके विश्वास कर सकते हैं


Zen Masters Story in Hindi  #4  इर्ष्या ,क्रोध और अपमान

टोकियो के निकट एक महान ज़ेन मास्टर रहते थे , वो अब वृद्ध हो चुके थे और अपने आश्रम में ज़ेन बुद्धिज़्म की शिक्षा देते थे .

एक नौजवान योद्धा , जिसने कभी कोई युद्ध नहीं हारा था ने सोचा की अगर मैं मास्टर को लड़ने के लिए उकसा कर उन्हें लड़ाई में हरा दूँ तो मेरी ख्याति और भी फ़ैल जायेगी और इसी विचार के साथ वो एक दिन आश्रम पहुंचा.

कहाँ है वो मास्टर,हिम्मत है तो सामने आये और मेरा सामना करेयोद्धा की क्रोध भरी आवाज़ पूरे आश्रम में गूंजने लगी .

देखतेदेखते सभी शिष्य वहां इकठ्ठा हो गए और अंत में मास्टर भी वहीँ पहुँच गए .

उन्हें देखते ही योद्धा उन्हें अपमानित करने लगा , उसने जितना हो सके उतनी गालियाँ और अपशब्द Zen मास्टर को कहे .पर मास्टर फिर भी चुप रहे और शांति से वहां खड़े रहे .

बहुत देर तक अपमानित करने के बाद भी जब मास्टर कुछ नहीं बोले तो योद्धा कुछ घबराने लगा , उसने सोचा ही नहीं था की इतना सब कुछ सुनने के बाद भी Zen Master उसे कुछ नहीं कहेंगे , उसने अपशब्द कहना जारी रखा , और मास्टर के पूर्वजों तक को भलाबुरा कहने लगा ,पर मास्टर तो मानो बहरे हो चुके थे , वो उसी शांती के साथ वहां खड़े रहे और अंततः योद्धा थक कर खुद ही वहां से चला गया .

उसके जाने के बाद वहां खड़े शिष्य Zen Master से नाराज हो गए , भला आप इतने कायर कसी हो सकते हैं , आपने उस दुष्ट को दण्डित क्यों नहीं किया , अगर आप लड़ने से डरते थे , तो हमें आदेश दिया होता हम उसे छोड़ते नहीं, शिष्यों ने एक स्वर में कहा .

मास्टर मुस्कुराये और बोले , यदि तुम्हारे पास कोई कुछ सामान लेकर आता है और तुम उसे नहीं लेते हो तो उस सामान का क्या होता है ?”

वो उसी के पास रह जाता है जो उसे लाया था .”, किसी शिष्य ने उत्तर दिया .

यही बात इर्ष्या , क्रोध और अपमान के लिए भी लागू होती है .”- मास्टर बोले .जब इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता तो वे उसी के पास रह जाती हैं जो उन्हें लेकर आया था .”

Zen Story सार – इस Zen Kahani में Zen Guru ने ये बताया कि आप अगर किसी ईर्षालु व्यक्ति से झगड़ा या बहस करेंगे तो सिर्फ आपकी शांति ही भंग होगी उस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगड़ेगा, अगर आप उसका साथ देंगे तो वो आप पर हावी हो जायेगा अगर नहीं देंगे तो वो कमज़ोर हो जायेगा और ही हार कर चला जायेगा.


Zen Stories in Hindi #5 –  चोरी की सजा

Zen Master Story in Hindi: जब  ज़ेन  मास्टर  बनकेइ ने ध्यान करना  सिखाने का  कैंप  लगाया  तो  पूरे  जापान  से  कई बच्चे उनसे सीखने  आये .  कैंप  के  दौरान  ही  एक  दिन  किसी छात्र  को  चोरी  करते  हुए  पकड़  लिया  गया . बनकेइ  को  ये  बात  बताई  गयी , बाकी  छात्रों   ने  अनुरोध  किया  की  चोरी  की  सजा  के  रूप में इस  छात्र को कैंप से निकाल दिया जाए . पर बनकेइ ने इस पर ध्यान नहीं दिया और उसे  और बच्चों के साथ  पढने  दिया .

कुछ दिनों बाद फिर ऐसा ही हुआ , वही छात्र दुबारा चोरी करते हुए पकड़ा गया . एक बार फिर उसे बनकेइ के सामने ले जाया गया , पर  सभी की उम्मीदों के विरूद्ध इस बार भी उन्होंने छात्र को कोई सजा नहीं सुनाई .

इस वजह से अन्य बच्चे क्रोधित हो उठे और सभी ने मिलकर बनकेइ को पत्र लिखा की यदि उस छात्र को नहीं निकाला जायेगा तो हम  सब कैंप छोड़ कर चले जायेंगे .

बनकेइ ने पत्र पढ़ा और तुरंत ही सभी छात्रों  को इकठ्ठा होने के लिए कहा .” आप सभी बुद्धिमान हैं .” बनकेइ ने बोलना शुरू किया ,“ आप जानते हैं की क्या सही है और क्या गलत .

यदि आप कहीं और पढने जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं , पर  ये बेचारा यह भी नहीं  जानता की क्या सही है और क्या गलत .यदि इसे मैं नहीं पढ़ाऊंगा तो और कौन पढ़ायेगा ? आप सभी चले भी जाएं तो भी मैं इसे  यहाँ  पढ़ाऊंगा .”

यह सुनकर चोरी करने वाला छात्र फूट -फूट कर रोने लगा .अब उसके अन्दर से चोरी करने की इच्छा हमेशा के लिए जा चुकी थी.

Zen Story सार – इस ज़ेन कहानी में गुरु ने ये बताया कि गुरु के लिए सभी शिष्य एक से हैं और गुरु का काम भी तो आखिर एक अच्छा इंसान बनाना ही तो है जैसे आखिर में बच्चे ने करना छोड़ दिया, बस इसी प्रकार हमारी भी ये दायित्व है कि समाज में ऐसे बच्चे जिनको सही गलत का अंदाज़ा ही नहीं है उनको सही मार्गदर्शन मिले उनका जीवन सफल हो.


Zen Stories in Hindi #6 – दो भिक्षुक

Beautiful Zen Story about Two Students: शाम के वक्त दो बौद्ध भिक्षुक आश्रम को लौट रहे थे. अभीअभी बारिश हुई थी और सड़क पर जगह जगह पानी लगा हुआ था . चलते चलते उन्होंने देखा की एक खूबसूरत नवयुवती सड़क पार करने की कोशिश कर रही है पर पानी अधिक होने की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है . दोनों में से बड़ा बौद्ध भिक्षुक युवती के पास गया और उसे उठा कर सड़क की दूसरी और ले आया . इसके बाद वह अपने साथी के साथ आश्रम को चल दिया .

शाम को छोटा बौद्ध भिक्षुक बड़े वाले के पास पहुंचा और बोला,“ भाई ,भिक्षुक होने के नाते हम किसी औरत को नहीं छू सकते ?”

हाँ, बड़े ने उत्तर दिया .

तब छोटे ने पुनः पूछा , “लेकिन आपने तो उस नवयुवती को अपनी गोद में उठाया था ?”

यह सुन बड़ा बौद्ध भिक्षुक मुस्कुराते हुए बोला, “ मैंने तो उसे सड़क की दूसरी और छोड़ दिया था,पर तुम अभी भी उसे उठाये हुए हो .”

Zen Story सार – इस ज़ेन कहानी में हमने ये देखा कि कई बार दूसरों की बुराई और उनके बारे में बुरे विचार हमेशा हमारे दिमाग में चलते रहते हैं इससे उनके साथ साथ बुराई के बराबर के हिसेदार बन जाते हैं. हर चीज़ में अच्छे देखना ही समझदार व्यक्ति की निशानी है.


Zen Insipirational Stories in Hindi #7  सबसे बड़ा धनुर्धर

बहुत सी तीरंदाजी प्रतियोगिताएँ जीतने के बाद एक नौजवान तीरंदाज खुद को सबसे बड़ा धनुर्धर मानने लगा । वह जहाँ भी जाता लोगों को उससे मुकाबला करने की चुनौती देता, और उन्हें हरा कर उनका मज़ाक उड़ाता । 

एक बार उसने एक प्रसिद्द ज़ेन मास्टर को चुनौती देने का फैसला किया और सुबहसुबह पहाड़ों के बीच स्थित उनके मठ जा पहुंचा ।

मास्टर मैं आपको तीरंदाजी मुकाबले के लिए चुनौती देता हूँ “, नवयुवक बोला ।

मास्टर ने नवयुवक की चुनौती स्वीकार कर ली ।मुक़ाबला शुरू हुआ ।

नवयुवक ने अपने पहले प्रयास में ही दूर रखे लक्ष्य के ठीक बीचोबीच निशाना लगा दिया । और अगले निशाने में उसने लक्ष्य पर लगे पहले तीर को ही भेद डाला ।

अपनी योग्यता पर घमंड करते हुए नवयुवक बोला, ” कहिये मास्टर, क्या आप इससे बेहतर करके दिखा सकते हैं ? यदिहाँतो कर के दिखाइए, यदिनहींतो हार मान लीजिये ।

मास्टर बोले,पुत्र, मेरे पीछे आओ

मास्टर चलतेचलते एक खतरनाक खाई के पास पहुँच गए । नवयुवक यह सब देख कुछ घबड़ाया और बोला, मास्टर, ये आप मुझे कहाँ लेकर जा रहे हैं ? “

मास्टर बोले, “घबराओ मत पुत्र, हम लगभग पहुँच ही गए हैं, बस अब हमें इस ज़र्ज़र पुल के बीचोबीच जाना है ।

नवयुवक ने देखा की दो पहाड़ियों को जोड़ने के लिए किसी ने लकड़ी के एक कामचलाऊ पुल का निर्माण किया था, और मास्टर उसी पर जाने के लिए कह रहे थे।

मास्टर पुल के बीचोबीच पहुंचे, कमान से तीर निकाला और दूर एक पेड़ के तने पर सटीक निशाना लगाया ।निशाना लगाने के बाद मास्टर बोले, आओ पुत्र, अब तुम भी उसी पेड़ पर निशाना लगा कर अपनी दक्षता सिद्ध करो “

नवयुवक डरतेडरते आगे बढ़ा और बेहद कठिनाई के साथ पुल के बीचोंबीच पहुंचा और किसी तरह कमान से तीर निकाल कर निशाना लगाया पर निशाना लक्ष्य के आसपास भी नहीं लगा ।

नवयुअवाक निराश हो गया और अपनी हार स्वीकार कर ली ।

तब मास्टर बोले, ” पुत्र, तुमने तीरधनुष पर तो नियंत्रण हांसिल कर लिया है पर तुम्हारा उस मन पर अभी भी नियंत्रण नहीं है जो किसी भी परिस्थिति में लक्ष्य को भेदने के लिए आवश्यक है।

पुत्र, इस बात को हमेशा ध्यान में रखो कि जब तक मनुष्य के अंदर सीखने की जिज्ञासा है तब तक उसके ज्ञान में वृद्धि होती है लेकिन जब उसके अंदर सर्वश्रेष्ठ होने का अहंकार आ जाता है तभी से उसका पतन प्रारम्भ हो जाता है” 

नवयुवक मास्टर की बात समझ चुका था, उसे एहसास हो गया कि उसका धनुर्विद्या का ज्ञान बस अनुकूल परिस्थितियों में कारगर है और उसे अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है; उसने ततकाल ही अपने अहंकार के लिए मास्टर से क्षमा मांगी और सदा एक शिष्य की तरह सीखने और अपने ज्ञान पर घमंड ना करने की सौगंध ली । 

Zen Story सार – इस जेन कहानी में हमने देखा कि जब जिसके अंदर सर्वश्रेष्ठ होने का अहंकार आ जाता है तभी से उसका पतन प्रारम्भ हो जाता है. इसके साथ साथ हर व्यक्ति की अपनी एक खासियत होती है जिसमे दूसरा व्यक्ति शून्य होता है इसीलिए सभी का सामान आदर करना हमारा कर्तव्य है.


अंततः, ज़ेन बौद्ध धर्म (Zen Katha) अभ्यासियों को उनके दिल और दिमाग को ठीक करने और दुनिया से जुड़ने के तरीके प्रदान करता है। आज पश्चिम में, कई अभ्यासी ध्यान के माध्यम से मन की शांति और मानसिक स्पष्टता प्राप्त करने के लिए ज़ेन में आते हैं।

बौद्ध धर्म के सभी स्कूलों की तरह, ज़ेन एक समझ के साथ शुरू होता है कि मनुष्य पीड़ित हैं, और यह सभी प्राणियों के परस्पर संबंध को पहचानने और इस सत्य के साथ संरेखित तरीके से जीने के लिए सीखने के माध्यम से इस पीड़ा का समाधान प्रदान करता है।

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