अनुशासन का महत्व और अनुसाशन कितना ज़रूरी है?
हम सभी को ज्ञात है कि अनुशासन हमारे जीवन के लिए कितना आवश्यक है। इससे सम्बंधित एक बोध कथा अनुशासन से लक्ष्य की प्राप्ति पढ़ते हैं। इस ब्लॉग में, हमारे पास Motivational bodh katha in hindi में नैतिक कहानियों (Best Hindi Stories) की एक सूची है और हम आपको बताते हैं कि नैतिक हिंदी कहानियाँ जो जीवन के मार्गदर्शन करने वाली आध्यात्मिक और नैतिक कथाएं पढ़ें।
Bodh Katha: आचार्य सुमेध बहुत ही ज्ञानी और अनुशासन को मानने वाले थे | एक दिन पाठ समाप्ति के बाद वरतन्तु नाम के एक शिष्य ने आचार्य सुमेध से प्रश्न पूछा – आचार्यवर ! विद्याध्ययन का आधार तो बौद्धिक प्रखरता है | इस स्पष्ट सत्य के बावजूद आप समूचे जीवन को कठोर अनुशासन में बांधने की बात क्यों करते है ?
आचार्य सुमेध बोले – समय आने पर तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर तुम्हे मिल जाएगा | इस घटना के काफी दिनों बाद आचार्य सुमेध अपने सभी शिष्यों के साथ भ्रमण हेतु निकले | भ्रमण करते हुए सभी लोग गंगा तट पर आ पहुँचे। गंगा की जलराशि और उसमे उठने वाली तरंगो ने सबका मन मोह लिया |
वही पर आचार्य सुमेधु ने वरतंतु से पूछा – वरतंतु क्या तुम जानते हो कि गंगा की यात्रा कहाँ से कहाँ तक होती है ?
मेधावी वरतंतु ने उत्तर दिया – हाँ गुरुदेव ! गंगा गोमुख से चलकर गंगासागर में विलीन होती है |
आचार्य ने फिर पूछा – और वत्स ! यदि गंगा के ये दोनों किनारे न हों, तो क्या यह इतनी लम्बी यात्रा कर पाएगी ?
वरतंतु ने तपाक से बोला बिलकुल भी नहीं। तब तो गंगा का जल इधर – उधर बिखर जाएगा | इतना ही नहीं इससे मिलने वाले लाभों से भी सभी देशवासी वंचित रह जाएंगे क्योंकि किनारों के टूटने पर कही तो बाढ़ आ जाएगी और कही तो सूखा पड़ जाएगा |
वरतंतु के उत्तर से संतुष्ट आचार्य सुमेध ने कहा – वत्स ! यही तुम्हारे उस दिन के प्रश्न का उत्तर है | अनुशासन के अभाव में विद्यार्थियों की जीवन उर्जा बिखर जाएगी | उनके शरीर व मन निस्तेज, निष्प्राण हो जाएँगे | विद्यार्थियों के लिए जीवन प्राप्ति का लक्ष्य असम्भव हो जाएगा | अनुशासन में रहकर ही विद्या को आत्मसात किया जा सकता है।