मिट्टी चिकित्सा : जानिए क्या है मड थैरेपी | Benefits of Mud Therapy in Hindi

मिट्टी चिकित्सा : जानिए क्या है मड थैरेपी | Benefits of Mud Therapy

मिट्टी चिकित्सा | Mud Therapy

नमस्कार मित्रो सुधबुध में आपका हार्दिक स्वागत है हम आपको स्वास्थ्य से संभंधित जानकारी उपलब्ध करवाते रहतें हैं | आज हम आपको मिट्टी चिकित्सा के बारे में बताने वाले हैं इस पोस्ट में आप इन मिट्टी चिकित्सा की विधियां , मिट्टी पट्टी बनाने की विधि ,मिट्टी के उपयोग, प्राकृतिक चिकित्सा की विधियां और मिट्टी चिकित्सा की विधियां विषयों पर जानकारी पढ़ सकते हैं

क्या है मड थेरेपी | Mud Therapy kya Hai ? 

परिचयमिट्टी चिकित्सा – हमारे शरीर का निर्माण पंच तत्त्वों से हुआ है, ये हैं-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश । इन पंच तत्त्वों में पृथ्वी तत्त्व अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है जो मनुष्य के पालन-पोषण, वृद्धि और विकास के लिये अत्यन्त आवश्यक है। पृथ्वी ही पेड़, पौधों, वनस्पतियों और विभिन्न प्रकार के खाद्यान्नों की जन्मदात्री है। इसीलिये पृथ्वी को भारतीय संस्कृति में ‘माता’ का स्थान दिया गया है। इस पृथ्वी तत्त्व के सम्पर्क में रहना स्वस्थ रहने के लिए अत्यन्त आवश्यक माना जाता है। इसी पृथ्वी तत्त्व से शरीर की चिकित्सा को प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी चिकित्सा का नाम दिया गया है।

सर्वाधरे सर्व बीजे सवशक्ति समन्विते ।
सर्वकाम प्रदे देवि सर्वेष्टं देहि में धरे ।। ( ब्रह्मवैवर्त पुराण )

अर्थात- हे पृथ्वी देवी ! आप सबको धारण करने वाली हो ,सर्वबीजमयी हो,सर्वशक्ति सम्पन्न हो, सर्वकामप्रदायिनी हो, प्रकाशमयी हो, देवी! आप हमारे मनोरथों को सिद्ध करो।

मिट्टी चिकित्सा का अर्थ | Benefits of Mud Therapy in Hindi

मिट्टी चिकित्सा का इतिहास अत्यन्त पुराना है। हमारे ऋषि,मुनियों ने मिट्टी का प्रत्यक्ष उपयोग कर उसके महत्त्व को समझा और शरीर तथा मन को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न प्रकार से मिट्टी का उपयोग किए जाने की कला का विकास किया। प्राचीन आश्रम व्यवस्था में पृथ्वी पर सोने, भूमि पर नंगे पैर चलने, मिट्टी से ही हाथों, पैरों तथा शरीर की सफाई, मिट्टी से स्नान, मिट्टी से निवास स्थान को लीप कर शुद्ध करने तथा मिट्टी के सीधे सम्पर्क में रहने के अनेक उदाहरण मिलते हैं। वास्तव में ये उदाहरण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के उन्नयन में मिट्टी की उपयोगिता को दर्शाते हैं। मिट्टी चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत आने वाली एक ऐसी विधि है जिसमें शरीर एवं मन के विभिन्न विकारों को दूर करने तथा
स्वास्थ्य संवर्धन के लिए मिट्टी का विभिन्न रूपों में उपयोग किया जाता है।

मिट्टी चिकित्सा की विशेषताएँ | Benefits of Mud Therapy in Hindi

मिट्टी में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं :-

• तापनियन्त्रण की क्षमता : मिट्टी में ताप के नियन्त्रण की अद्भुत शक्ति होती है। गर्मी में प्रयोग में लाए जाने पर यह शरीर को शीतलता प्रदान करती है।
• दुर्गन्ध नाशक क्षमता : यह शरीर की दुर्गन्ध को दूर कर उसे पुनः निर्मल बना देती है। अवशोषण की क्षमता : मिट्टी में विजातीय द्रव्यों के अवशोषण की अपूर्व क्षमता होती है। यह विजातीय द्रव्यों को घुलाकर उसे शरीर से बाहर निकाल देती है।
• वातावरण को स्वच्छ एवं शुद्ध बनाने की क्षमता : मिट्टी न केवल वातावरण को स्वच्छ बनाती है अपितु सड़ी-गली चीजों को अपने में समाहित कर वातावरण को पुनः शुद्ध बना देती है। इसीलिये मृत शरीर का विसर्जन भी मिट्टी में दबाकर किया जाता है।
• अत्यन्त सरल एवं प्रभावपूर्ण : मिट्टी चिकित्सा न केवल अत्यन्त सरल है अपितु प्रभावी भी है। इसका प्रयोग घर में भी बिना किसी विशिष्ट उपकरण आदि के किया जा सकता है।

मिट्टी चिकित्सा में प्रयोग की जाने वाली मिट्टी | Which Mud is Used for Mud Therapy

इसके लिए प्रयोग में लायी जाने वाली मिट्टी साफ-सुथरी और जमीन से 3-4 फिट नीचे की होनी चाहिए। उसमें किसी तरह की मिलावट,
कंकड़, पत्थर या रासायनिक खाद वगैरह नहीं होने चाहिए। प्रयोग में लाने से पूर्व मिट्टी को साफ करके, उसके कंकड़-पत्थर निकालकर धूप में अच्छी तरह से सुखा लेना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि एक बार प्रयोग में लायी गयी मिट्टी को दुबारा प्रयोग में न लाया जाए।

मिट्टी चिकित्सा के प्रकार | Types of Mud Therapy

प्राकृतिक चिकित्सालयों में मिट्टी चिकित्सा प्रायः दो प्रकार से दी जाती है-
1. मिट्टी की पट्टी
2. मिट्टी स्नान या सर्वांग मिट्टी लेप

मिट्टी की पट्टी | Mud Therapy for Stomach

पेट पर पानी की पट्टी रखने के फायदे : यह प्राकृतिक चिकित्सा का एक लोकप्रिय उपचार है। प्रायः पेट एवं माथे पर मिट्टी की पट्टी का प्रयोग किया जाता है किन्तु आवश्यकता पड़ने पर शरीर के अन्य भागों पर भी मिट्टी की पट्टी का प्रयोग कर सकते हैं। पेट पेट पर मिट्टी की पट्टी पर मिट्टी की पट्टी रखने के लिए साफ-सुथरी मिट्टी लेकर उसे मिट्टी के ही किसी बड़े बर्तन में भिगो दें। प्रातः काल उसे गूंधकर आटे जैसा बना लें। यह अधिक गीली नहीं होनी चाहिए । फिर एक स्वच्छ सूती कपड़ा लेकर मिट्टी को उस पर रखकर लकड़ी की सहायता से फैलाकर पट्टी जैसा बना लें । प्रायः इस पट्टी का आकार लगभग 9″ x 6″ x 72″ रहता है पर रोगी के आकार-प्रकार तथा लगाये जाने वाले स्थान के अनुसार इसमें परिवर्तन किया जा सकता है। इसके पश्चात उपर्युक्त पट्टी को पेट पर नाभि से नीचे इस प्रकार रखें कि मिट्टी त्वचा से स्पर्श करती रहे। ऊपर से एक सूखे कपड़े से ढक दें। ठंड के दिनों में इसके ऊपर ऊनी कपड़ा लपेटा जा सकता है। 20 मिनट बाद पट्टी को हटाकर उस स्थान को गीले कपड़े से साफ कर हाथों से रगड़कर गरम कर लें । इसी प्रकार माथे आदि स्थानों की पट्टी भी बनायी जा सकती है।

मिट्टी स्नान या सर्वांग मिट्टी लेपः Mud Therapy Benefits

Mud Therapy at Home – मिट्टी स्नान के लिये मिट्टी के किसी बड़े पात्र में मिट्टी को लेकर उसमें इतना पानी मिला लेते हैं कि वह लेप करने योग्य हो जाए | यह घोलन अत्यन्त पतला और न अत्यन्त गाढ़ा हो । अब रोगी को मात्र एक अण्डरवियर पहनाकर उसके शरीर पर सिर से लेकर पैरों तक मिट्टी का लेप कर देते हैं। यह लेप पूरे शरीर पर एक समान होना चाहिए। रोगी को ऋतु के अनुसार धूप में या पेड़ की छाया में बैठा देते हैं। 20 से 40 मिनट में लेप सूख जाता है। तत्पश्चात् ताजे पानी से रोगी को स्नान करा देते हैं । रोगी को खूब अच्छी तरह से रगड़ कर नहाना चाहिए, ताकि बालों आदि से मिट्टी पूरी तरह से छूट जाए। इसके बाद शरीर को पोंछकर शरीर पर नारियल या तिल का तेल लगा लेना चाहिए |

दैनिक प्रयोग हेतु मिट्टी का सौंदर्य साबुन स्वच्छ मिट्टी को कूट-छान कर धूप में एक सप्ताह सुखाने के बाद उसे नीम के उबले पानी से भिगो और सान कर साबुन के आकार से सांचे में ढाल कर पुनः सुखा लें। यह स्नान के लिये अथवा शौच इत्यादि के पश्चात् हाथ साफ करने के लिये साबुन के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है।

मिट्टी चिकित्सा के लाभ | Benefits of mud therapy in hindi

मिट्टी चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अंग है। यह शरीर को शीतलता प्रदान करती है तथा शरीर के दूषित पदार्थों को घोलकर एवं अवशोषित कर शरीर से बाहर निकाल देती है। विभिन्न रोगों जैसे-कब्ज, तनाव, सिरदर्द, उच्च रक्तचाप तथा चर्म रोगों आदि के उपचार में सफलतापूर्वक इसका प्रयोग किया जाता है। सिरदर्द तथा उच्च रक्तचाप आदि में पेट के साथ-साथ माथे पर भी मिट्टी की पट्टी रखने से उसका लाभ द्विगुणित हो जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आत्मकथा में कब्ज को दूर करने के लिए प्रायः मिट्टी की पट्टी लिए जाने का संदर्भ मिलता है।

‘एडोल्फ जस्ट’ ने अपनी पुस्तक रिटर्न टु नेचर’ में मिट्टी के गुणों का वर्णन किया है। यही पुस्तक पढ़कर महात्मा गांधी भी प्राकृतिक चिकित्सा
की ओर उन्मुख हुए थे।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मिट्टी चिकित्सा | Mud Therapy in naturopathy

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मिट्टी चिकित्सा की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। नित्य बढ़ रहे मानसिक तनाव, शारीरिक व्याधियों तथा तनाव जन्य विकारों के निवारण में मिट्टी चिकित्सा रामबाण की तरह कार्य करती है। सिर दर्द, उच्च रक्तचाप, उदर रोग, हृदय रोग, अनिद्रा तथा अन्य अनेक रोग ऐसे हैं जिनका उपचार मिट्टी चिकित्सा से सफलतापूर्वक किया जा सकता है। भारत के अधिकांश प्राकृतिक चिकित्सालयों में मिट्टी चिकित्सा की
व्यवस्था उपलब्ध है, जहाँ पर रोगी एवं स्वस्थ व्यक्ति सभी जाकर मिट्टी चिकित्सा का लाभ उठाते हैं।

मिट्टी का प्रयोग प्रत्येक मौसम में किया जा सकता है। यह अत्यन्त सरल, प्रभावी तथा हानिरहित चिकित्सा है। प्रत्येक व्यक्ति इसके सिद्धान्तों को समझ कर स्वास्थ्य लाभ हेतु इसका प्रयोग कर सकता है।

इस लिंक पर क्लिक करके आप मिट्टी चिकित्सा PDF डाउनलोड कर सकते हैं . 
इस Post में मिट्टी चिकित्सा (Mud Therapy) के बारे में विस्तार से जाना। हमने ये भी जाना कि की मिट्टी चिकित्सा क्या है (What is Mud Therapy)। मिट्टी चिकित्सा के क्या लाभ है (Benefits of mud bath therapy)। मिट्टी चिकित्सा (मड थेरेपी) से किन किन रोगों का इलाज किया जाता है (Mud bath treatment) तथा मिट्टी चिकित्सा की विधि क्या है (Mud therapy procedure) ? यह कितने प्रकार की होती है (Types of Mud therapy).
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Source: ccryn ministry of aayush. 

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