सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ॥
(Sab sukh lahe tumahri sharna, tum rakshak kahu ko darna in hindi)
हनुमान चालीसा के इस दोहे का अर्थ क्या है?
हम सभी लोग श्री हनुमान चालीसा में इस दोहे को पढ़ते हैं। चालीसा में आने वाले Sab sukh lahe tumahri sharna, tum rakshak kahu ko darna दोहे का क्या अर्थ है ये इस पोस्ट के मध्यम से हम जानेंगे.
अर्थ – हनुमान चालीसा के इस दोहे में कहा गया है कि हे हनुमान जी,आपकी शरण में आने पर सभी सुख मिल जाते हैं और जब आप मेरे रक्षक हो अर्थात् मेरी रक्षा कर रहे हो तो फिर मुझे किसी बात का डर नहीं है ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।“– रामरक्षास्तोत्रम्
अर्थ– जिनकी गति मन की तरह और वायु के समान वेग है, जो परम जितेंद्रिय और बुद्धिमानों में सबसे श्रेष्ठ हैं, उन वानरों में अग्रणी श्रीरामजी के दूत पवनपुत्र की मैं शरण लेता हूं। इस कलयुग में हनुमान जी की भक्ति से बढ़कर और कुछ नहीं है।
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उपरोक्त पंक्तियों को पढ़कर ही बजरंगबली हनुमान जी की प्रभुता का भान हो जाता है। इनके शरण मात्र में जीवन के तमाम सुख सिमटे हुए हैं। अगर इनकी कृपा हमारे ऊपर हो तो फिर किसी का भय व्यक्ति को नहीं सताता।
हनुमान जी जितेंद्रिय, बुद्धि में श्रेष्ठ, बल में श्रेष्ठ, वायुपुत्र, वानरों में अग्रणी और भगवान श्री राम के अत्यंत प्रिय है। इस कलियुग में श्री हनुमान जी को जागृत अवस्था वाला देव माना जाता है। मुसीबत के समय में इनके स्मरण मात्र से ही सारी मुश्किलें छू मंतर हो जाती है और आगे बढ़ने का नया रास्ता दिखाई देता है।