प्रेरक कथा : धन बड़ा या स्वास्थ्य | Motivational Stories for kids in hindi

Motivational Stories for kids in hindi

Motivational Stories for kids in hindi | धन बड़ा या स्वास्थ्य  प्रेरक कथा | Stories In Hindi 

सुधबुध में आपका स्वागत है इस ब्लॉग में हम आपको ज्ञानवर्धक लेख कहानियां और जानकारियां उपलब्ध करवाते हैं. आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी , Motivational Story in Hindi for Students.

एक शहर में एक अमीर व्यक्ति रहता था। वह पैसे से तो बहुत धनी था लेकिन शरीर और सेहत से बहुत ही ग़रीब। दरअसल वह हमेशा पैसा कमाने की ही सोचता रहता था, दिन-रात पैसा कमाने के लिए मेहनत करता लेकिन अपने शरीर के लिए उसके पास बिल्कुल समय नहीं था। फलस्वरूप अमीर होने के बावजूद उसे कई नई-नई प्रकार की बीमारियों ने घेर लिया और शरीर भी धीरे-धीरे कमज़ोर होता जा रहा था, लेकिन वह इस सब पर ध्यान नहीं देता और हमेशा पैसे कमाने में ही लगा रहता था। एक दिन वह थकाहारा शाम को घर लौटा और जाकर सीधा बिस्तर पर लेट गया। धर्मपत्नी जी ने खाना लगाया लेकिन अत्यधिक थके होने के कारण उसने खाना खाने से मना कर दिया और भूखा ही सो गया।

आधी रात को उसके शरीर में बहुत तेज़ दर्द हुआ, वह कुछ समझ नहीं पाया कि ये क्या हो रहा है ? अचानक उसके सामने एक विचित्र सी आकृति आकर खड़ी हो गयी और बोली, हे मानव मैं तुम्हारी आत्मा हूँ और आज से मैं तुम्हारा शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। वह व्यक्ति घबराया सा बोला, आप मेरा शरीर छोड़ कर क्यों जाना चाहती हो, मैंने इतनी मेहनत से इतना पैसा और वैभव कमाया है, इतना आलिशान बंगला बनवाया है यहाँ तुम्हें रहने में क्या दिक्कत है?

आत्मा बोली, हे मानव सुनो, मेरा घर ये आलीशान बंगला नहीं तुम्हारा शरीर है, जो बहुत दुर्बल हो गया है जिसे अनेकों बीमारियों ने घेर लिया है। सोचो अगर तुम्हें बंगले की बजाय किसी टूटी झोंपड़ी में रहना पड़े तो तुम्हें कितना दुःख होगा, उसी प्रकार तुमने अपने शरीर यानि मेरे घर को भी टूटा-फूटा और खण्डहर बना लिया है, जिसमें मैं अब और नहीं रह सकती। इतना कहकर, आत्मा ने उस व्यक्ति के शरीर को त्याग दिया और जीवन भर
सिर्फ पैसे कमाने के लालच की वजह से उस व्यक्ति को कम उम्र में ही अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा।

मित्रो, ये सिर्फ एक कहानी नहीं है बल्कि जीवन की सच्चाई है। दुनिया में बहुत सारे लोग पैसा कमाने के चक्कर में अपना स्वास्थ्य गंवा देते हैं, वे लोग यह नहीं सोचते कि हमारी आत्मा और प्राण को किसी आलीशान बंगले या पैसे की ज़रुरत नहीं, बल्कि एक स्वस्थ शरीर की आवश्यकता है। तो ,मित्रो पैसा ही सबकुछ नहीं है बल्कि स्वास्थ्य सबसे बड़ी पूंजी है।

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