नाभिचक्र (धरन) को ठीक करने के 10 आसान तरीके और नाभिचक्र (धरन) के बारे में सम्पुर्ण जानकारी | Nabhi khisakne ka Upchar aur Upay

नाभिचक्र (धरन) को ठीक करने के 10 आसान तरीके और नाभिचक्र (धरन) के बारे में सम्पुर्ण जानकारी

नाभि खिसकना क्या होता है? जानिए इसके लक्षण और घरेलू उपाय


संतुलित नाभिचक्र (धरन) स्वस्थ जीवन का आधार है। मां के पेट में गर्भ धारण होते ही पिंड में प्राणशक्ति नाभि से ही प्रवेश करती है। नाभिचक्र(धरन)हो इस असीम, मानवीय एवं लौकिक प्राण शक्ति को शरीर प्रदान करता है। यही कारण है कि अनेक विद्वानों ने इसे Abdominal Brain की नाभिचक्र के असंतुलन से हमारे शरीर की प्राणशक्ति भी अंसतुलित हो जाती है तथा शरीर में अनेक रोगों का प्रवेश हो जाता है। नाभि खिसकने की समस्‍या ऐसी है जो बेइंतहा परेशान कर देती है. पेट दर्द, दस्‍त और उल्टियां तक लग जाती हैं. कम्त या दस्त, गैस, मिचली, भूख न लगना, सुस्ती,थकावट तथा पेट दर्द आदि रोग प्राय: नाभि के अपने स्थान से हिल जाने या खिसक जाने के कारण होते हैं। अनेक व्यक्तियों को पेडू के दर्द, हर्निया जैसी तकलीफों से केवल नाभि सैट हो जाने से छुटकारा मिल जाता है।

इस पोस्ट में इन बिंदुओं पर जानकारी दी जा रही है – नाभिचक्र (धरन)को ठीक करने के 10 आसान तरीके और नाभिचक्र (धरन) के बारे में सम्पुर्ण जानकारी – नाभि खिसकने का उपचार और उपाय – Nabhi khisakne ka upchar aur upay

नाभि खिसकने के कारण (Reason of Dharan)

नाभि खिसकने (Navel Sliding) के कई कारण हो सकते है. इसमें भारी वजन उठाना, अचानक झुकना, सीढ़ियां चढ़ने से ऐसा होता है. 

नाभि खिसकने को कैसे जांचें ?

(क) प्रातः काल खाली पेट सीधे लेट कर यदि नाभि पर उंगली या अंगूठे से दबाया जाए तो वहां हृदय के धड़कन जैसी महसूस होने पर नाभिचक्र अपनी सही स्थितिमें होता है।

(ख) नाभिचक्र अपने स्थान पर न होगा तो दोनों हाथ की बीच की उंगलियों की लम्बाई में अन्तर होगा।

(ग) सुबह बिना खाये पिए दोनों पैरों को फैला कर पीठ के बल लेट जायें। दोनों घुटने तथा पैर आपस में साथ-साथ हो । 

यदि नाभि खिसकी हुई होगी तो एक पैर का अंगूठा दूसरे से कुछ ऊंचा होगा अर्थात् दोनों अंगूठे बराबर नहीं होंगे। जो अंगूठा ऊँचा हो उसे हाथ से ऊपर की ओर खींचे। दो तीन बार खोंचने से नाभि सैट हो जायेगी, अथवा जो अंगूठा ऊंचा हो उसके घूटने पर हथेली से हल्का दबाव देने में अंगूठा नीचा हो जायेगा तथा नाभि सैट हो जायेगी।

प्रायः अधिक वजन उठाने, पेट में गैस बनने या चलते समय पैर अंसतुलित हो जाने पर नाभि खिसक जाती है। कभी कभी नाभि के नीचे की. ओर खिसकने से पतले दस्त लग जाते हैं। यदि नाभिचक्र व्यवस्थित नहीं है तो किसी भी उपचार से लाभ नहीं मिलता। नाभि प्रायः गोल, केन्द्र में स्थित तथा सुडोल होनी चाहिये। नाभिचक्र यथा स्थान लाने के कई तरीके हैं।

 नाभिचक्र (धरन) को ठीक कैसे करें ? Dharan ka ilaj 

(1) अंगूठे से नाभि के इर्द-गिर्द दबाव देकर इसे केन्द्र की ओर ठेलना।

(2) सुबह खाली पेट भूमि पर कमर सीधी तथा टांगें लम्बी करके बैठ जायें। पहले दाय टांग को मोड़कर बाई टांग पर पटने के समीप (ऊपर की ओर) रखकर दाएं हाथ से दाहिने खुटने को भूमि से छुआने की चेष्टा करें। दबाव 5 बार दें तथा उतना ही दें जितना सहन हो सके। इसी प्रकार बाएं घुटने को मोड़कर भी यही क्रिया करें। नाभि सैट हो जायेगी।

(3) सीधे लेट जाइये। सिर के नीचे तकिया न रखें। दोनों पैरों को ऊपर उठाइये तथा समकोण (90 डिग्री) पर रखिये। फिर सिर को बिना जमीन से उठाये दोनों पैरों को सीधे रखते हुए धीरे-धीरे जमीन पर लाइये। प्रात: 5 बार यह क्रिया करने से नाभि सैट हो जाती है।

(4) भूमि पर सीधे लेटकर सांस बाहर छोड़िये। पुन: सांस लेने से पूर्व पेट को फुलाइये तथा यथासंभव इस स्थिति में अधिक समय तक रखिये। 4 या 5 बार यह क्रिया करने से नाभि व्यवस्थित हो जाती है।

(5) नाभिचक्र को ठीक करने की एक विधि भारत के गांवों में काफी प्रचलित है। मरीज को सीधा लिटाकर मिट्टी का या कोई अन्य दीपक जलाकर सावधानी से नाभि पर रखें। जलते दीपक पर पीतल या स्टील का गिलास उल्टा रखकर उसे हाथ से एक मिनट तक दबाव देते हुए पकड़े रहें। इससे गिलास के अन्दर की हवा के जल जाने पर दीपक बुझ जायेगा तथा एक अवकाश (Vacuum) उत्पन्न हो जायेगा। इस दबाव से नाभिचक्र अपने स्थान पर आ जायेगा।

6 – नौकासन, पवनमुक्तासन और हलासन करना चाहिए. ये ऐसे आसन हैं जो इस समस्या को दूर करने में काफी मददगार साबित होते हैं

7 अगर नाभि खिसकने की वजह से पेट में तेज दर्द के साथ दस्‍त हो रहे हों तो एक गिलास पानी में एक चम्मच चायपत्ती मिलाकर उबाल लें और छानकर गुनगुना पी जाएं. इससे दर्द में आराम मिल जाएगा.

8 – एक चम्मच आंवला पाउडर लें. इसमें नींबू का रस मिलाएं. नाभि के चारों ओर इस पेस्ट को लगाएं. तब तक लेटे रहें जब तक ये सूख ना जाए. दिन में दो बार नाभि पर ये पेस्‍ट लगाएं.

9- नाभि खिसकने Nabhi khisakne (धरण) में भुजंगासन, मत्स्यासन, कंधरासन, सूप्ता व्रजासन, चक्रासन, धनुरासन, मकरासन, मत्स्य क्रीड़ासन आदि करने से फायदा होता है। इसके अलावा शंख प्रक्षालन आसन भी इस समस्या में राहत प्रदान करता है।

10- सक्शन पंप की मदद से नाभि खिसकने की समस्या को दूर किया जाता है। यह सक्शन पंप वैक्यूम थेरेपी पर काम करता है। इस पंप के कपनुमा भाग को नाभि के बीच में लगाया जाता है। इसके बाद यह कप पंप की मदद से नाभि पर चिपक जाता है। कुछ देर तक इस पंप को नाभि पर ही लगा रहने दें जिसके बाद यह अपने आप ही हट जाता है। इससे नाभि अपनी सही जगह पर आ जाती है। इस प्रक्रिया को आप दो से तीन बार दोहरा सकते हैं।

उपरोक्त जानकारी में दिए गए योग किसी एक्सपर्ट विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें

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