Sanskaro ka Mahatva: जीवन में बचपन से ही संस्कारों का महत्व
संस्कार का महत्व | Significance and Importance of Sanskar
हमारा ये मानना है कि इतिहास को ऐसे दृष्टिकोण से पढ़ाया जाना चाहिए। जिससे नई पीढ़ी में देश के गौरव के प्रति आदर जाग्रत हो । यदि उन्हें ‘पराजय’ और गुलामी जैसी गलत बातें ही सिखाई जाएँगी तो उनमें हीन भावना उत्पन्न होगी। अर्थात हमारा ये मन्ना है की काम उम्र में बच्चो को अच्छे संस्कार देने चाहिए।इस संबंध में आइये हम आपको एक कहानी कहानी सुनाते थे।
एक राजा के दरबार में एक व्यापारी पंछी बेचने आया। उसके पास देश-विदेश के अनेक प्रकार के बहुमूल्य पक्षी थे। उन पक्षियों में से तोते बहुत बुद्धिमान थे। व्यापारी ने कहा कि दोनों तोते जो सुनते हैं उसे जल्दी याद कर लेते हैं। राजा ने दोनों तोते खरीद लिए। उसने एक अपने पहरेदार को और दूसरा अपने याजक को दिया।
कुछ देर बाद राजा को अपने तोतों की याद आई। जब उसने उनसे पूछा, तो वह बहुत हैरान हुआ। एक तोता सुंदर श्लोक और हरिनाम बोल रहा था, जबकि दूसरा गंदी-गंदी बातें कर रहा था।
राजा ने पहले तोते से इसका कारण पूछा। उन्होंने कहा कि मैं प्रहितजी के घर रुका हूं। जो लोग उनके पास आते थे उन्हें वे अच्छे-अच्छे श्लोक और भगवान की कथा सुनाया करते थे, इसलिए मैंने भी वह सब बातें सीखीं। तुमने मेरे साथी को चौकीदार को दे दिया। वह चौकीदार आने-जाने वालों को हर समय कोस कर बातें करता था। तो राजा को ये बातें याद आ गईं। यह देश मेरे साथी तोते का नहीं बल्कि उस चौकीदार का है जिसके पास उसे रखा गया था।
यह सच है कि कर्मकांड बहुत जरूरी हैं। बचपन में दिल और दिमाग में जो बनता है वो देर तक याद रहता है। इसलिए बच्चों को सही इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए। जिससे की बच्चे हमारे गौरवशाली इतिहास में जो महान पुरषो के बारे में पढ़े और उनकी जीवनशैली को अपने जीवन का आधार बनाकर अपने चरित्र का नव निर्माण कर सके. इस लिए हम कहते है की बचपन में ही अच्छे संस्कारो का बहुत महत्व होता है.
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